उर्ध्व मुख स्वानासन अधो मुख स्वानासन का श्रेष्ठ संगी है। इन दोनों आसनों को क्रम में करने से आपको मज़बूत बाज़ू, लचीली रीढ़ और सुडौल शरीर मिल सकते हैं। अपने नाम के अनुरूप इस आसन में आपका चेहरा ऊपर की ओर होगा तथा पुरे शरीर में खिंचाव उत्पन्न होगा।
आइये जानते हैं उर्ध्व मुख स्वानासन के अभ्यास की विधि क्या है-
- पेट के बल ज़मीन पर लेटें। पैर के पंजे का अंग्रिम हिस्सा जमीन पर रखें तथा पैरों को पीछे की ओर धकेलते हुए इनमें खिंचाव उत्पन्न करे।
- कोहनियाँ मोड़ें, हथेली को खोलकर कमर के पास ज़मीन पर रखें।
- गहरी सांस भरें और हाथों को पूरी मजबूती के साथ जमाएं। अब हाथों पर इस तरह दबाव बनाएं जैसे आप खुद को ज़मीन से ऊपर धकेल रहे हों।
- अब हाथों को थोडा सीधा कर लें तथा साथ ही शरीर के उपरी हिस्से को भी हवा में उठा लें। आपके पैरों के पंजों के अलावा बाकि पूरा पैर और जांघ में हवा में उठी रहेगी।
- रीढ़ के अंतिम हिस्से को पीडुभाग की ओर धकाएं तथा पीडुभाग को नाभि की ओर लेकर आएं। कूल्हों में तनाव न बनने दें।
- आगे की ओर देखें तथा गर्दन को पीछे की ओर थोड़ा सा झुकाएं। ध्यान रखें की गर्दन को पूरी तरह पीछे झुकाकर गले पर दबाव न बनाया जाए।
- यह आसन सूर्य नमस्कार का एक हिस्सा है। इसे आप अलग से भी कर सकते हैं तथा 15-30 सेकंड तक इस आसन में बने रह सकते हैं।
- सांस छोड़ते हुए दोबारा ज़मीन पर लेट जाएं।
अगर आपके कमर में चोट हो, आप कार्पल टनल सिंड्रोम से ग्रसित हों, सिरदर्द हो रहा हो या गर्भवती हों तो इस आसन का अभ्यास बिलकुल न करें।
यह एक सरल आसन है जिसे कोई भी व्यक्ति आसानी से कर सकता है। पर फिर भी अगर आप इसके अभ्यास में मुश्किल महसूस करें तो आप भुजंगासन या सेतु बंध सर्वांगासन का अभ्यास कर सकते हैं।
हर आसन की तरह इस सरल परन्तु प्रभावी आसन से आप कई लाभ पा सकते हैं। इनमें से कुछ मुख्य लाभ इस प्रकार हैं-
- पोस्चर बेहतर करे।
- रीढ़, कलाई और बाजू मजबूत करे।
- छाती, फेफड़ों, कंधों और पेट में खिंचाव लाकर इनमें रक्तसंचार दुरुस्त करे।
- कूल्हों को सुडौल बनाए।
- अंदरूनी अंगों की मालिश करे।
- तनाव, आलस और साइटिका से राहत दिलाए।
- अस्थमा में थेरेपी की तरह काम करे।